गांव तेरे गोद में बचपन सुहाना बीत गयाचंद गलिया और अपनों में दिन पुराना बीत गया पनघटों पर भरती गगरी और रात …
Category: कविता
कविता: तुम मेरी पुकार हो माँ – बालानाथ राय
तुम मेरी पुकार हो माँ ज्ञान की भण्डार हो माँविद्वानों की जननी हो माँतुम मेरी पुकार हो माँसदैव मेरे साथ रहा करो …
कविता : रात धीरे-धीरे
रात धीरे-धीरे रात धीरे-धीरे दीवार फाँद गई, चाँद मेरी छत से होकर गुज़र गया जुगनुओं का शोकगीत अब भी जारी है। गर्मागर्म …
कविता: नई नई किताबें
वैसे तो किताबे हमारी मित्र है I किताबों पर ही बालानाथ राय ने एक कविता लिखी है जिसे आप भी पढ़िए- नई …
प्रेम की समझ : कविता
मेरे इन दोस्तों कोप्रेम शायद समझ आ चुका हैउन्होंने चुन लिया है किसी न किसी कोजीवनभर साथ का हमसफ़र वे कहते हैउन्हें …